सुदक्षिणा दोहद दुख पावता /
इच्छाक्षणि देखत सर्व सिद्धता /
धनुष्यधारी नृपतीस इष्ट्से /
अप्राप्य काहीं गगनांत हे नसे // ६ //
अनुक्रमें कंठुनी दोहद व्यथा /
पुष्टांग शोभे नृप पत्नी सर्वथा /
पर्णे जुनी जाती झडोनीजेधवा /
नावांकुरे शोभत वल्लि ते धावा // ७ //
दिनोदिनी तस्तन पुष्ट जाहले /
कृष्णाग्र ज्याचे बहुसाल शोभले /
बसोनि पद्मावरी भृंग त्यापरी /
आशीन दावू शकतीच चातुरी // ८ //
कि रत्नगर्भा धरनिचीये परी /
अंतस्थ वैश्वानर त्या शमी परी /
सरस्वती गुप्त जलाच की जशी /
नृपास राणी आतीमान्य होतशी // ९ //
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